Typhoid (टायफाइड):- कारण,लक्षण, उपचार और आयुर्वेदिक उपाय।

Typhoid

Typhoid / टायफाइड क्या है?

Typhoid एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण है, जो Salmonella Typhi नामक जीवाणु के कारण होता है। यह बीमारी मुख्य रूप से दूषित भोजन और गंदे पानी के सेवन से फैलती है। यह बीमारी व्यक्ति की आंतों और खून को सबसे अधिक प्रभावित करती है।


 

Typhoid Fever/टायफाइड के कारण

  • दूषित पानी और भोजन का सेवन
  • संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना
  • स्वच्छता की कमी और खुले में शौच
  • हाथ धोने की आदत न होना
  • गंदे बर्तनों या नाली के संपर्क से फैलाव

Typhoid Fever/टायफाइड के लक्षण

टायफाइड के लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं, आमतौर पर संक्रमण के 6-30 दिन बाद। इसके सामान्य लक्षण हैं :-

  • पहले 3 दिन    हल्का बुखार, कमजोरी, भूख में कमी
  • 4-7 दिन उच्च बुखार (102°F-104°F),
  • पेट दर्द,दस्त या कब्ज,सिर दर्द।
  • एक सप्ताह बाद शरीर पर गुलाबी चकत्ते (rose
    spots), थकावट, भ्रम की स्थिति
  • गंभीर स्थिति    आतों में छेद, रक्तस्राव, लीवर-स्प्लीन में सूजन

Typhoid Fever/टायफाइड से बचाव के उपाय

  • साफ पानी पिएं – उबला या फिल्टर किया हुआ
    पानी ही पिएं।
  • व्यक्तिगत स्वच्छता रखें – खाने से पहले और शौच के बाद हाथ जरूर धोएं।
  • बाहर के कटे फल/सलाद से बचें
  • खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें
  • टायफाइड वैक्सीन लगवाएं (विशेषकर बच्चों को)
  • रसोई और बर्तन की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें

Typhoid Fever/टायफाइड का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद में टायफाइड को आंत ज्वर या मियादी बुखार कहा  जाता है। जो पाचन शक्ति की कमजोरी और अमाशय में विष की उपस्थिति से होता है। आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना और विषों को बाहर निकालना होता है।

प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियां

*गिलोय (Tinospora cordifolia)

  • गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन पीने से बुखार में राहत
    मिलती है
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

*सुदर्शन चूर्ण 

  •  यह बुखार, ज्वर और पाचन संबंधी विकारों में उपयोगी है।
  • 1-2 ग्राम चूर्ण गर्म पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करें।

*त्रिभुवन कीर्ति रस

  • यह आयुर्वेदिक रस टायफाइड जैसे बुखार में अंत्यंत लाभदायक माना जाता है।

*मुक्ता पिष्टी और संजीवनी वटी

  • रोग की गंभीरता के अनुसार वैद्य की सलाह से लिया जाए।

टायफाइड के लिए घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे

*गिलोय-तुलसी काढ़ा

  • गिलोय, तुलसी, अदरक और काली मिर्च को उबालें और 1 कप सुबह-शाम पिएं

*चावल का मांड (Rice Water)

  • पचने में आसान और पोषण युक्त, टायफाइड के समय उपयोगी है।

*नींबू पानी और नारियल पानी

  • शरीर में जल की कमी को पूरा करें और ऊर्जा बनाए रखें।

*केला और सेब

  • ये फल शरीर को आवश्यक पोषण देते हैं और आसानी से पच जाते हैं।

Typhoid Fever/टायफाइड में क्या न खाएं?

  • मसालेदार, तले-भुने भोजन से परहेज करें
  • दूध और दुग्ध उत्पाद सीमित मात्रा में लें
  • बासी भोजन और फ्रिज में रखी पुरानी चीजें न खाएं
  • बहुत अधिक चीनी और फैट वाले पदार्थों से बचें

Typhoid Fever/टायफाइड के बाद रिकवरी के लिए

  • विश्राम करें और 2-3 सप्ताह तक भारी कार्य न करें
  • हल्के व्यायाम और प्राणायाम शुरू करें (जैसे अनुलोम-विलोम)
  • शरीर को धीरे-धीरे सामान्य भोजन की आदत पर लाएं

-:निष्कर्ष:-

Typhoid Fever  एक गम्भीर परंतु पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है, यदि समय रहते इलाज और सावधानियां अपनाई जाएं। आयुर्वेदिक चिकित्सा, उचित खानपान और स्वच्छता के माध्यम से इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।


जाने:-

Jaundice (पीलिया) क्या है और बिलीरुबिन का शरीर पर प्रभाव |

Dengue वायरस संक्रमण : कारण, लक्षण, रोकथाम और उपचार |

Tuberculosis (क्षय रोग/टीबी): कारण, लक्षण, बचाव और इलाज