Menstruation (मासिक धर्म) के दौरान महिलाओं को होने वाली समस्याएं।
Menstruation (मासिक धर्म) महिलाओं के शरीर में होने वाली एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है, जो सामान्यतः हर 21 से 35 दिनों के बीच आती है। यह एक महिला के प्रजनन स्वास्थ्य का संकेत है। लेकिन इसके साथ अनेक प्रकार की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक समस्याएं भी जुड़ी होती हैं, जो महिलाओं के जीवन को प्रभावित करती हैं।
यह ब्लॉग पोस्ट उन्हीं समस्याओं पर आधारित है — जिसमें शारीरिक तकलीफों से लेकर मानसिक तनाव, हार्मोनल असंतुलन, सामाजिक मिथक और घरेलू उपायों तक सब कुछ विस्तार से बताया गया है।

Menstruation/मासिक धर्म से जुड़ी सामान्य समस्याएं
1. माहवारी में दर्द (Dysmenorrhea)
- लक्षण – पेट के निचले हिस्से में मरोड़, पीठ दर्द, जांघों में
खिंचाव। - कारण – प्रोस्टाग्लैंडिन हॉर्मोन की अधिकता से यूटेरस की
मांसपेशियां ज्यादा सिकुड़ती हैं। - आंकड़े – लगभग 70% किशोर लड़कियों को शुरुआती
कुछ वर्षो में मासिक धर्म के दौरान समस्याएं
ज्यादा होती है।
2. अत्यधिक या कम रक्तस्राव (Menorrhagia /
Hypomenorrhea)
✳️अत्यधिक रक्तस्राव :-
- अत्यधिक रक्तस्राव में महिला को हर घंटे पैड बदलना पड़ता है और कमजोरी महसूस होती है।
घरेलू नुस्खे –
- धनिया के बीज पानी में उबालकर पिएं।
- अनार और खजूर शरीर में आयरन और खून की पूर्ति करते हैं।
योगासन –
- बालासन – पेट दर्द में राहत
- पवन मुक्तासन – ब्लोटिंग और गैस से छुटकारा
- भुजंगासन – यूटेरस की नसों को सुकून
प्राणायाम –
- अनुलोम विलोम और भ्रामरी से मानसिक स्थिरता मिलती है
- कपालभाति हार्मोनल बैलेंस में मदद करता है।
✳️बहुत कम ब्लीडिंग (spotting) – थायरॉइड, पीसीओडी या
तनाव के कारण हो सकती है।
3. अनियमित पीरियड्स (Irregular Periods)
कारण – हॉर्मोनल गड़बड़ी, तनाव, थायरॉइड, वजन
में अत्यधिक बदलाव, पीसीओडी आदि।
आयुर्वेदिक उपचार –
- मेथी पानी – 1 चम्मच रात भर भिगोकर सुबह सेवन करें।
- तुलसी की पत्तियां – हार्मोनल बैलेंस के लिए फायदेमंद।
- गिलोय और अशोक के रस – आयुर्वेदिक टॉनिक की तरह काम करता है।
4. प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम/PMS(Premenstrual Syndrome / मासिक धर्म पूर्व लक्षण)प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम/PMS(Premenstrual Syndrome / मासिक धर्म पूर्व लक्षण)
लक्षण – मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, सिर दर्द, नींद न
आना, स्तनों में सूजन।
*यह पीरियड्स से 5–7 दिन पहले शुरू होता है और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
5. त्वचा और बालों की समस्याएं
- मासिक धर्म के समय हार्मोन असंतुलन से पिंपल्स, ऑयली स्किन और बाल झड़ने की शिकायत आम है।
6. PCOD(Polycystic Ovarian Disease) –
PCOD एक ऐसी स्थिति है जिसमें महिलाओं के अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं, हार्मोनल असंतुलन होता है और पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। यह बहुत आम समस्या है, लेकिन सही डाइट और जीवनशैली से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।आजकल युवतियों में एक आम समस्या बन गई है।
PCOD के कारण –
- हार्मोनल असंतुलन (इंसुलिन और एंड्रोजन का स्तर बढ़ना)
- जीवनशैली में गड़बड़ी (जंक फूड, मोटापा, व्यायाम की कमी)
- अनुवांशिक कारण (Genetic factors)
- तनाव और नींद की कमी
-: Menstruation/मासिक धर्म में हार्मोनल असंतुलन और मानसिक स्वास्थ्य :-
1. मासिक धर्म और डिप्रेशन
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के घटने-बढ़ने से महिला का मूड, भूख और नींद प्रभावित होती है।
कई महिलाओं को PMDD(Premenstrual Dysphoric Disorder) मासिक धर्म (पीरियड्स) आने से लगभग 7–10 दिन पहले शुरू होता है और मासिक धर्म शुरू होने पर या उसके 1–2 दिन बाद अपने आप कम हो जाता है। इसमें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक लक्षण PMS(Premenstrual Syndrome / मासिक धर्म पूर्व लक्षण) से ज्यादा तीव्र होते हैं, जिससे महिला की दैनिक जीवन, कामकाज और रिश्तों पर असर पड़ सकता है।PMDD कम महिलाओं (लगभग 3–8%) को प्रभावित करता है।
PMDD के कारण –
PMDD का सटीक कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि –
- मासिक धर्म चक्र के दौरान हार्मोन (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) में बदलाव
- दिमाग में सेरोटोनिन स्तर में असंतुलन
- तनाव और जीवनशैली के कारण
इलाज / मैनेजमेंट –
- लाइफस्टाइल मैनेजमेंट – नियमित व्यायाम, योग, ध्यान (Meditation), संतुलित आहार
- कैफीन, अल्कोहल और जंक फूड से परहेज़
- कैल्शियम और विटामिन B6 सप्लीमेंट्स (डॉक्टर की सलाह से)
गंभीर स्थिति में –
- एंटीडिप्रेसेंट (SSRI दवाएँ)
- हार्मोनल ट्रीटमेंट (जैसे जन्म-निरोधक गोलियां)
- काउंसलिंग या थेरेपी
2. चिंता और एंग्जायटी
- PMS (Premenstrual Syndrome / मासिक धर्म पूर्व लक्षण)के कारण तनावग्रस्त, चिड़चिड़ा और अस्थिर मानसिक स्थिति हो सकती है।
- लगातार अनियमित पीरियड्स से मानसिक असंतुलन भी उत्पन्न हो सकता है।
-: Menstruation के आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय :-
दर्द में राहत के लिए :-
- अजवाइन पानी – गर्म पानी में अजवाइन उबालकर पिएं
- हींग और गुड़ – पेट दर्द में कारगर
- गर्म पानी की थैली पेट पर रखने से मांसपेशियों को राहत
आहार में क्या शामिल करें :-
आयरन युक्त खाद्य (पालक, चुकंदर, अनार)
प्रोटीन (दूध, दही, पनीर, दालें)
हर्बल चाय (तुलसी, सौंफ, अदरक)
किन चीजों से बचें :-
जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, कैफीन
बहुत ज्यादा मीठा या नमक
स्वच्छता का ध्यान :-
1. सैनिटरी पैड या कप?
- पैड – अधिकतर महिलाएं पैड इस्तेमाल करती हैं। हर 4–
6 घंटे में बदलें। - मेन्स्ट्रुअल कप – पर्यावरण के अनुकूल, लंबे समय तक
चलने वाला। - टैंपॉन – पश्चिमी देशों में प्रचलित, लेकिन भारत में
कम जानकारी है।
2. सफाई के नियम
- हमेशा साफ हाथों से पैड या कप बदलें।
- पीरियड्स के दौरान दिन में कम से कम दो बार स्नान करें।
- जननांग क्षेत्र को धोते समय केवल हल्का गर्म पानी इस्तेमाल करें।
Menstruation/मासिक धर्म के दौरान ग्रामीण महिलाओं की चुनौतियां
भारत के ग्रामीण इलाकों में मासिक धर्म अभी भी एक सामाजिक टैबू (Taboo) है। जानकारी के अभाव में लड़कियां :-
- गंदे कपड़े उपयोग करती हैं।
- स्कूल जाना छोड़ देती हैं।
- हाइजीन के अभाव में इंफेक्शन का शिकार हो जाती हैं।
समाधान :-
- स्कूलों और पंचायतों में जागरूकता शिविर।
- मुफ्त सैनिटरी पैड वितरण।
- माताओं और बहनों को प्रशिक्षित करना।
-: कब डॉक्टर से संपर्क करें? :-
यदि नीचे दिए गए लक्षण बार-बार दिखाई दें, तो गाइनेकॉलजिस्ट( स्त्री रोग विशेषज्ञ )से मिलें :-
- हर महीने बहुत अधिक रक्तस्राव और कमजोरी
- पीरियड्स लगातार 2 महीने न आना
- अत्यधिक पेट दर्द जो 2 दिन से ज्यादा रहे
- पीरियड्स के समय बुखार या बदबूदार डिस्चार्ज
-: निष्कर्ष :-
मासिक धर्म महिलाओं की सेहत का महत्वपूर्ण संकेत है। लेकिन इससे जुड़ी समस्याओं को नजरअंदाज करना भविष्य में गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। उचित जानकारी, खानपान, स्वच्छता और नियमित जीवनशैली अपनाकर महिलाएं इस स्वाभाविक प्रक्रिया को बिना किसी परेशानी के अनुभव कर सकती हैं।
हम सभी का कर्तव्य है कि हम मासिक धर्म के प्रति भ्रांतियों को दूर करें और समाज में इसके बारे में खुलकर बात करें ताकि हर लड़की और महिला को सम्मान और स्वास्थ्यपूर्ण जीवन मिले।
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