Bedwetting/बच्चों का नींद में बिस्तर गीला करना।
Bedwetting/ नींद में बिस्तर गीला करना यानी “रात्रि मूत्र स्राव” बच्चों का एक आम समस्या है। यह समस्या 5 से 12 वर्ष तक के बच्चों में अधिक देखने को मिलती है। आयुर्वेद में इसे “शय्या मूत्र” कहा गया है। यह समस्या वात और अपान वायु के असंतुलन से जुड़ी मानी जाती है।
✳️बच्चों के बेड गीला करने की समस्या को डॉक्टरों और चिकित्सा साहित्य में “Nocturnal Enuresis” कहा जाता है।Nocturnal Enuresis दो शब्दों के मिलने से बना है – 1. Nocturnal – रात में (Night-time) + 2. Enuresis – अनियंत्रित मूत्र त्याग(Uncontrolled urination)
अन्य चिकित्सकीय शब्द –
- Diurnal Enuresis – दिन में पेशाब करने में अनियंत्रण
- Monosymptomatic Nocturnal Enuresis (MNE) – केवल रात में अनियंत्रित पेशाब, कोई अन्य लक्षण नहीं।

-: Nocturnal Enuresis के प्रकार :-
1. Primary Nocturnal Enuresis (PNE)
- बच्चा हमेशा (प्रत्येक रात)बिस्तर गीला करता है।
- आम तौर पर जन्म से ही समस्या होती है।
2. Secondary Nocturnal Enuresis (SNE)
- पहले बच्चा बिस्तर गीला नहीं करता था, लेकिन कुछ समय बाद अचानक रात में पेशाब करने लग जाता है।
- यह तनाव, संक्रमण, या किसी बीमारी के कारण हो सकता है।
-: Bedwetting की समस्या कितनी आम है? :-
आयु वर्ग संख्या (%)
5 -9 वर्ष 15% बच्चे
10 – 14 वर्ष 5% बच्चे
15+ वर्ष 1–2% बच्चे
-: Bedwetting के मुख्य कारण :-
- मूत्राशय का अधूरा विकास
- गहरी नींद
- तनाव या भावनात्मक परेशानी
- पारिवारिक इतिहास
- कब्ज की समस्या
- रात में अत्यधिक तरल पदार्थ का सेवन
-: Bedwetting के लक्षण :-
- रात में अनजाने में पेशाब हो जाना
- बच्चे का शर्मिंदा होना
- नींद से उठने में असमर्थता
-: आयुर्वेदिक दृष्टिकोण :-
- आयुर्वेद में इसे अपान वायु के असंतुलन से संबंधित समस्या माना गया है।
- वात व कफ दोष इसके लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार होते हैं।
-: Bedwetting के आयुर्वेदिक उपचार :-
1. 3–5 साल के बच्चे
लक्षण – रात में बार-बार बिस्तर गीला होना, दिन में
सामान्य नियंत्रण
आयुर्वेदिक औषधियाँ –
*Ashwagandha (अश्वगंधा) चूर्ण – स्नायु और मूत्राशय
को मजबूत करता है
*Chandraprabha Vati – गुर्दे और मूत्राशय की
कार्यक्षमता बढ़ाता है
*Punarnava (पुनर्नवा) रस/चूर्ण – मूत्राशय और गुर्दे की
शक्ति बढ़ाने के लिए
2. 6–8 साल के बच्चे
लक्षण – दिन में भी कभी-कभी पेशाब पर कंट्रोल कम, डर या
नींद में बिस्तर गीला होना
आयुर्वेदिक औषधियाँ –
*Musta (मुस्ता) चूर्ण – मूत्राशय की मजबूती के लिए।
*Kapikacchu (कपिकच्छु) चूर्ण – स्नायु और पेशाब
नियंत्रण में मदद।
*Chandraprabha Vati – रोज़ एक या दो गोलियाँ
3. 9–12 साल के बच्चे
लक्षण – चिंता, डर, नींद में अनियंत्रित पेशाब, बार-बार बिस्तर
गीला होना।
आयुर्वेदिक औषधियाँ –
*Ashwagandha चूर्ण – स्नायुशक्ति बढ़ाने के लिए
*Shilajit (शिलाजीत) 50–100 mg – मूत्राशय और गुर्दे
मजबूत करता है।
*Chandraprabha Vati / Punarnava Vati –
रोज रात को सोने से पहले।
-: आयुर्वेदिक औषधियों के उपयोग टिप्स :-
1. खुराक – बच्चे की उम्र और वजन के अनुसार निर्धारित करें। डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य से सलाह लें।
2. समय – रात में सोने से पहले या दिन में दो बार खाना खाने के बाद।
3. साथ में –
- सोने से पहले ज्यादा पानी न पिएँ।
- हल्का और सुपाच्य आहार दें।
- बच्चे को तनावमुक्त रखें।
-: भोजन संबंधी सुझाव :-
- रात में तरल पदार्थ कम दें
- दही, आइसक्रीम, ठंडी चीजें परहेज करें
- 7 बजे के बाद भारी भोजन न दें
-: Bedwetting के लिए योग और प्राणायाम :-
1. 3–5 साल के बच्चे
लक्ष्य – शारीरिक जागरूकता, मूत्राशय और पाचन की हल्की
एक्टिविटी, मानसिक शांति
योगासन –
- पवनमुक्तासन (Wind-Relieving Pose) – 1–2 मिनट, पेट और ब्लैडर मजबूत
- बच्चों के लिए हल्का stretching जैसे हाथ-पैर हिलाना, पेट झुकाना
प्राणायाम –
- गहरी साँस लेना और छोड़ना – 2–3 बार धीरे-धीरी
- शवासन (Shavasana) – 2–3 मिनट, सोने से पहले
नोट – इस उम्र में ध्यान रखें कि बच्चा खेल-खेल में करें, मजबूरी
में या जबरदस्ती न करें।
2. 6–8 साल के बच्चे
लक्ष्य – मूत्राशय नियंत्रण, शारीरिक और मानसिक संतुलन
योगासन –
- पवनमुक्तासन – 2–3 मिनट
- भुजंगासन (Cobra Pose) – 3–5 बार
- हल्का सूर्यनमस्कार (3–5 चक्र)
प्राणायाम –
- अनुलोम-विलोम – 1–2 मिनट, धीरे-धीरे बढ़ाएँ
- गहरी साँस लेना और छोड़ना, 2–3 बार
शवासन – 3–5 मिनट
टिप – योग खेल-खेल में कराएँ ताकि बच्चा बोर न हो।
3. 9–12 साल के बच्चे
लक्ष्य – मूत्राशय पर नियंत्रण, तनाव कम करना, आत्म –
नियंत्रण बढ़ाना।
योगासन –
- पवनमुक्तासन – 3–5 मिनट
- भुजंगासन – 5–7 बार
- हलासन – 2–3 मिनट
- सूर्यनमस्कार – 5–7 चक्र
प्राणायाम –
- अनुलोम-विलोम – 3–5 मिनट
- भस्त्रिका प्राणायाम (हल्का) – 1–2 मिनट
- शवासन – 5–7 मिनट
टिप – बच्चा खुद को आराम से महसूस करे। रात को सोने से पहले करना सबसे अच्छा।
सावधानी – किसी प्रकार का दर्द या असुविधा होने पर तुरंत बंद
करें।
-: व्यवहारिक उपाय :-
- बच्चे को डांटे नहीं, समझाएं
- रात में शौचालय जाने की आदत डालें
- अलार्म लगाएं
- हर सूखी रात पर शाबाशी दे
-: कब डॉक्टर से मिलें? :-
- उम्र 7 वर्ष से ऊपर है और समस्या लगातार बनी हो
- दिन में भी पेशाब पर नियंत्रण नहीं
- पेशाब में जलन या पेशाब मे खून दिखे
-: वैकल्पिक इलाज (होम्योपैथी) :-
*Causticum 30
- बार-बार पेशाब होना, खासकर रात में नींद में बिस्तर गीला करना।
- बच्चे को दिन में भी पेशाब पर कंट्रोल करने में कठिनाई हो।
- डर, चिंता या भावनात्मक कारणों से समस्या बढ़ती हो।
*Equisetum(Equisetum hyemale) 30
- पेशाब का बार-बार आना लेकिन हर बार बहुत कम मात्रा में।
- सोते समय अनजाने में पेशाब हो जाना।
- अगर बच्चा सपना देखते समय बिस्तर गीला कर देता है।
*Belladonna 30
- अचानक और तेज़ इच्छा से पेशाब आना।
- बच्चा डर या तेज बुखार में बेड गीला कर दे।
- गर्म शरीर, लाल चेहरा, बेचैनी साथ हो।
*डोज डॉक्टर की सलाह से दें।
-: निष्कर्ष :-
बच्चों का बिस्तर गीला करना विकास का एक भाग है। आयुर्वेद और संयमित जीवनशैली से इस समस्या को जड़ से ठीक किया जा सकता है। जरूरी है कि आप धैर्य रखें और बच्चे को भावनात्मक समर्थन दें।
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स्रोत :- आयुर्वेद ग्रंथ – अष्टांग हृदय, चरक संहिता
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