Malnutrition/कुपोषण के कारण, लक्षण, प्रभाव और बचाव के उपाय।

 

Malnutrition/कुपोषण आज के समय में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। यह तब होता है जब शरीर को आवश्यक पोषक तत्व — जैसे प्रोटीन, विटामिन, खनिज, कार्बोहाइड्रेट और वसा — सही मात्रा में नहीं मिलते। जिससे शरीर का विकास (Growth)  और कार्य क्षमता प्रभावित होती हैं। यह सिर्फ गरीब देशों की समस्या नहीं है; सही पोषण की कमी कहीं भी हो सकती है।

Malnutrition/कुपोषण = अपर्याप्त या असंतुलित भोजन।

Malnutrition ke karan or upchar.

Malnutrition/कुपोषण के प्रकार :-

  •  कुपोषण के मुख्य दो बड़े रूप हैं — अल्पपोषण

   (Undernutrition) और अतिपोषण

    (Overnutrition)।

1. अल्पपोषण (Undernutrition)

  • स्टंटेड (लंबाई में कमी)
  • वेस्टिंग (अचानक या तीव्र वजन घट जाना)
  • अंडरवेट (कुल वजन कम होना)
  • सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी — जैसे आयरन, विटामिन A, आयोडीन, जिंक आदि।

2. अतिपोषण (Overnutrition)

जब शरीर को अधिक कैलोरी और फैट मिलते हैं तो मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज और हृदय रोग जैसी समस्याएँ होती हैं। यह भी कुपोषण का ही एक रूप है — पोषण असंतुलन।

Malnutrition/कुपोषण के मुख्य कारण

  • आर्थिक कारण : गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई।
  • सामाजिक कारण : शिक्षा की कमी, गलत खान-पान परंपराएं, महिलाओं की उपेक्षा।
  • स्वास्थ्य कारण : बार-बार संक्रमण, दस्त, पाचन समस्या, गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी।
  • पर्यावरण : गंदा पानी, स्वच्छता की कमी, भोजन की असुरक्षा।

Malnutrition/कुपोषण के लक्षण (आसान भाषा में)

बच्चों में

  • वजन और ऊँचाई में कम वृद्धि
  • खेलने या फिजिकल एक्टिविटी में मन न लगना, सुस्ती
  • बार-बार बीमार पड़ना
  • हड्डियाँ पतली या कमजोर दिखना
  • बच्चों का सीखने में ध्यान नहीं लगना

वयस्कों में

  • थकान और कमजोरी
  • बालों का झड़ना, त्वचा का रूखापन
  • घाव देर से भरना
  • काम करने की क्षमता में कमी

Malnutrition/कुपोषण के गंभीर प्रभाव

  • स्वास्थ्य पर असर — मृत्यु दर बढ़ना, प्रतिरोधक क्षमता घटाना।
  • शिक्षा पर असर — पढ़ाई में मन नहीं लगना।
  • आर्थिक असर — काम करने की क्षमता घटती है और स्वास्थ्य खर्च बढ़ते हैं।
  • सामाजिक असर — किसी भी समुदाय की उत्पादकता घटती है।

भारत में स्थिति

भारत में बच्चों में स्टंटिंग और अंडरवेट की समस्या अधिक पाई जाती है। NFHS रिपोर्ट्स के अनुसार लगभग एक-तिहाई बच्चे प्रभावित हैं।

भारत में कुपोषण की स्थिति काफी गंभीर है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-21) के अनुसार :-

  • 5 साल से कम उम्र के 35% बच्चे “स्टंटेड” हैं।

    जब बच्चा अपनी उम्र के हिसाब से ठीक तरह से लंबा

    (ऊँचाई) नहीं बढ़ता। मतलब उसके शरीर का लंबाई का

    विकास रुक गया है या कमजोर है। यह लंबे समय के

    पोषण की कमी का संकेत है।

  • 19% बच्चे “वेस्टेड” हैं।

     शरीर का वजन उसके लम्बाई/उम्र के मुताबिक असामान्य

     रूप से कम होना। यह अक्सर अचानक हुई पोषण की

     कमी या बीमारी की वजह से होता है।

  • 32% बच्चे “अंडरवेट” हैं।

    बच्चे या वयस्क का कुल वजन सामान्य से कम होना।

    अंडरवेट एक आम शब्द है जो बताता है कि शरीर में

     पर्याप्त वजन नहीं है — यह स्टंटेड और वेस्टिंग दोनों का

     परिणाम हो सकता है।

  • महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया की समस्या बहुत अधिक है।

Malnutrition/कुपोषण की रोकथाम

1. संतुलित आहार

    भोजन में अनाज, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फल, दूध/

     दुग्ध पदार्थ और थोड़ी वसा शामिल रखें।

2. साफ-सफाई और स्वच्छता

    हाथ धोना, साफ पानी का उपयोग और शौचालय की

    उपलब्धता आवश्यक है।

3. टीकाकरण और स्वास्थ्य सेवाएं 

    बच्चों का समय पर टीकाकरण, नियमित चेकअप और

    डॉक्टर की सलाह जरूरी है।

4. माताओं की शिक्षा

    माताओं को स्तनपान और सही पोषण के बारे में शिक्षित

    करना बहुत महत्वपूर्ण है।

आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय

  • दूध और घी — ऊर्जा और ताकत का स्रोत।
  • च्यवनप्राश — रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद।
  • हल्का सुपाच्य भोजन — खिचड़ी, सूप, दाल-चावल।
  • गिलोय और अश्वगंधा — प्रतिरोधक क्षमता और ताकत।
  • आंवला, फल और हरी सब्जियां — विटामिन और मिनरल के लिए।

सरकारी योजनाएं 

  • आंगनवाड़ी और ICDS
  • मिड-डे मील
  • POSHAN Abhiyaan

घरेलू ध्यान

  • बच्चों को धूप और व्यायाम कराएं।
  • खानपान में विविधता रखें।
  • अचानक वजन घटे तो डॉक्टर से संपर्क करें।
  • गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन और प्रोटीन युक्त आहार।

निष्कर्ष

कुपोषण एक गंभीर समस्या है लेकिन संतुलित आहार, शिक्षा, स्वच्छता और सरकारी योजनाओं से इसे काफी हद तक रोका जा सकता है। स्टंटेड, वेस्टिंग और अंडरवेट की सरल समझ हमें समय पर पहचान और रोकथाम में मदद करती है।

ध्यान दें :- यह जानकारी सामान्य शिक्षा के लिए है। किसी भी गंभीर स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

 

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