Piles/Hemorrhoids(बवासीर)– कारण, लक्षण, प्रकार, आयुर्वेदिक इलाज व घरेलू उपाय

Piles/Hemorrhoids- जिसे हिंदी में बवासीर कहते हैं, गुदा (anus) और मलद्वार (rectum) के आसपास की नसों में सूजन के कारण होता है। यह आम बीमारी है लेकिन शर्म के कारण लोग देर तक इलाज नहीं कराते, जिससे समस्या बढ़ जाती है। इस लेख में हम सरल तरीके से स्टेप बाय स्टेप हर जानकारी देंगे ताकि आप आराम से समझकर इलाज और रोकथाम कर सकें।

Piles/Hemorrhoids

बवासीर के प्रकार

  1. आंतरिक बवासीर (Internal Piles): मलद्वार के अंदर होते हैं। शुरूआती अवस्था में दर्द कम होता है, लेकिन खून आ सकता है।
  2. बाहरी बवासीर (External Piles): गुदा के बाहर त्वचा के नीचे होते हैं। इनमें दर्द, सूजन और जलन ज्यादा होती है।
  3. रक्तस्रावी बवासीर (Bleeding Piles): मलत्याग के समय खून आता है – यह आंतरिक/बाहरी दोनों में हो सकता है।
  4. थ्रॉम्बोस्ड/गूदाबावासीर (Thrombosed Piles): गांठ के अंदर खून जम जाता है और तेज दर्द होता है।

Piles के प्रमुख कारण

  • लगातार या बार-बार कब्ज (hard stools और जोर लगाना)
  • बहुत देर तक टॉयलेट पर बैठना
  • फाइबर की कमी वाला आहार और कम पानी पीना
  • अधिक वजन (obesity) और कम शारीरिक गतिविधि
  • गर्भावस्था – बढ़े हुए पेट का दबाव और हार्मोनल बदलाव
  • बार-बार दस्त (diarrhea)
  • भारी वजन उठाना या बार-बार जोर लगाना
  • आनुवंशिक प्रवृत्ति (family history)

लक्षण (Symptoms)

  • मलत्याग के समय उजला या लाल खून आना
  • गुदा में गांठ, सूजन या बाहर निकला हुआ टिशू महसूस होना
  • गुदा के आसपास खुजली या जलन
  • दर्द या असहजता – खासकर बाहरी बवासीर में
  • मलत्याग के बाद भी गुदा में दबाव या मलत्याग अधूरा महसूस होना

यदि तेज खून (बहुत सारा), बुखार, चक्कर आते हों या बेहोशी जैसा महसूस हो तो तुरंत नजदीकी डॉक्टर/एडमिट सेन्टर पर जाएँ।

बवासीर की जाँच (Diagnosis)

  • फिजिकल जांच: डॉक्टर बाहरी गांठ देखकर पहचान ले सकते हैं।
  • डिजिटल रेक्टल एग्जाम: डॉक्टर अंगुली से अंदर जाँच कर सकते हैं।
  • प्रोकोस्कोपी/एंडोस्कोपी: आंतरिक बवासीर देखने के लिये छोटा यंत्र।
  • कॉलोनोस्कोपी: यदि खून आने का कारण साफ न हो या अन्य समस्या होने का शक हो तो पूरी आंत का परीक्षण।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण और उपयोगी औषधियाँ

आयुर्वेद में बवासीर को अर्श कहा जाता है। मूलतः वात दोष और मल का कठोर होना मुख्य कारण माना जाता है। उपचार का लक्ष्य – दर्द कम करना, गांठ सुखाना, कब्ज दूर करना और पाचन सुधारना।

प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधियाँ (सामान्य नाम)

  • त्रिफला चूर्ण – मल को नरम करता है और कब्ज दूर करता है।
  • अर्शोघ्न वटी/अर्शहर वटी – गांठ सूखाने और दर्द कम करने में सहायक।
  • अभयारिष्ट/हमोरा जैसे हर्बल टॉनिक – पाचन सुधारते हैं।
  • नागकेशर चूर्ण + शहद – रक्तस्राव में परम्परागत उपयोग।
  • नीम, हरितकी, यष्टिमधु – सूजन और संक्रमण घटाने में सहायक।

कैसे लें (साधारण निर्देश):- त्रिफला रात में गुनगुने पानी के साथ लें – नियमितता जरुरी है। किसी भी आयुर्वेदिक दवा को प्रमाणित ब्रांड से और आयुर्वेद डॉक्टर की सलाह से लें, खासकर यदि आप गर्भवती हैं, स्तनपान करा रही हैं या अन्य दवाइयाँ ले रहे हैं।

घरेलू उपचार (Simple & Effective)

  1. Sitz bath (गर्म पानी का सेक) – दिन में 2–3 बार 10–15 मिनट गुनगुने पानी में बैठने से सूजन और दर्द में राहत मिलती है।
  2. ठंडे/ठंडा सेक (Cold compress) – बाहरी हिस्से पर 10 मिनट ठंडा सेक सूजन घटाता है।
  3. एलोवेरा जेल – सूजन व जलन कम करने में मददगार – बाहरी हिस्से पर हल्का लगाएँ।
  4. नारियल तेल + हल्दी का पेस्ट – हल्‍का एंटी-इन्‍फ्लैमेटरी असर देता है (खुले घाव पर डॉक्टर की सलाह लें)।
  5. इसबगोल (psyllium husk) – 1–2 चम्मच रात में पानी के साथ – कब्ज कम करता है।
  6.  पपीता – पाचन बढ़ाता है – रोजाना नाश्ते में लें।
  7. बर्फ/आइस पैक – सूजन/दर्द में अल्पकालिक आराम देता है।

नोट:- किसी भी घरेलू या आयुर्वेदिक उपाय को लंबे समय तक लेने से पहले प्रमाणित चिकिसक से सलाह लें।

डाइट चार्ट (7 दिन का सरल नमूना) – कब्ज से तुरंत राहत के लिए

रोज का बेसिक नियम:– 8-10 गिलास पानी, प्रति दिन 25–35 ग्राम फाइबर (वयस्क के लिए सामान्य), फल-सब्जी और साबुत अनाज।

  1. दिन 1- सुबह:- ओट्स+दूध+सेब, दोपहर:- दाल-रोटी+सब्जी, शाम:- पपीता, रात:- सूजी का हल्का पोहा(हलवा)।
  2. दिन 2: सुबह:- दलिया+फल, दोपहर:- ब्राउन राइस+लौकी/भिंडी, शाम:- मूंग दाल का सूप, रात:- रोटी+सलाद।
  3. दिन 3: सुबह:- चिया सीड्स+दही+फल, दिन में सब्जियाँ और दाल, रात:- हल्का सूप।
  4. दिन 4-7:– ऊपर के नियम दोहराएँ – हर दिन पपीता/सेब/संतरा में से कम-से-कम एक फल लें।

परहेज योग्य चीजें:- बहुत मसालेदार, ज्यादा तला-भुना, कम पानी – इनसे बचें।

योग और एक्सरसाइज

  • पवनमुक्तासन:- पेट और कब्ज के लिये अच्छा।
  • मलासन:- गुदा आसपास की मांसपेशियों को आराम देता है।
  • वज्रासन:– पाचन सुधारने के लिये उपयोगी (भोजन के बाद 10-15 मिनट)।
  • हल्की वॉक:- रोज 20–30 मिनट पैदल चलना पाचन को दुरुस्त रखता है।

ध्यान – तेज दर्द या थ्रोम्बोसिस होने पर योगासन नहीं करें। पहले डॉक्टर से कन्फर्म करें।

आधुनिक चिकित्सा विकल्प

  • टॉपिकल क्रीम्स/माओइस्टक्रीम्स:- दर्द और खुजली कम करने के लिये।
  • बैंडिंग (Rubber band ligation):- आंतरिक हेमोरॉयड के लिये सामान्य और प्रभावी प्रक्रिया।
  • इन्फ्रारेड कोएगुलेशन (IRC):- छोटे आंतरिक नोड्स के लिये।
  • लेजर थेरपी:-  दर्द कम करने और जल्द रिकवरी वाली ऑप्शन।
  • हैमोरॉयडेक्टॉमी (ऑपरेशन):- गंभीर और बार-बार लौटने वाले मामलों में स्थायी समाधान के लिये।

सही उपचार का चुनाव डॉक्टर आपकी जांच और लक्षणों के आधार पर करेंगे।

बचाव और जीवनशैली में बदलाव (Prevention)

  • कब्ज न होने दें – फाइबर युक्त भोजन और प्रयाप्त पानी लें।
  • टॉयलेट पर लंबे समय तक न बैठें और जोर न लगाएँ।
  • नियमित हल्की कसरत करें और वजन नियंत्रित रखें।
  • भारी चीजें उठाते समय सही तकनीक अपनाएँ।
  • धूम्रपान और अत्यधिक शराब सेवन से बचें – ये पाचन खराब करते हैं।

FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या बवासीर पूरी तरह ठीक होता है?

हाँ, अधिकतर हल्के मामलों में आहार, जीवनशैली और घरेलू उपचार से ठीक हो जाता है। गंभीर या बार-बार लौटने वाले मामलों में मेडिकल ट्रीटमेंट चाहिए।

2. कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए?

यदि 7–14 दिनों में सुधार न हो, खून बहुत ज्यादा निकले, तेज दर्द, बुखार या बेहोशी जैसे लक्षण हों – तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ।

3. क्या प्रेग्नेंसी में इलाज सुरक्षित है?

प्रेगनेंसी में अधिकांश घरेलू उपाय सुरक्षित हैं (जैसे Sitz bath, फाइबर, पानी) पर औषधियाँ डॉक्टर की सलाह के बिना न लें।

4. क्या कच्चा केला (उबला) सच में मदद करता है?

कुछ पारंपरिक नुस्खे जैसे उबला कच्चा केला पाचन में मदद करते हैं – पर वैज्ञानिक सबूत सीमित हैं। पहले से मौजूद दवाइयों के साथ प्रयोग करने से पहले चिकित्सक से सलाह लें।

5. क्या बवासीर कैंसर का संकेत हो सकता है?

अलग-अलग कारणों से रक्त आ सकता है; लगातार या अनियमित खून आने पर कॉलोनोस्कोपी करानी चाहिए ताकि किसी अन्य गंभीर कारण से बचाव किया जा सके।

निष्कर्ष

बवासीर एक आम परन्तु नियंत्रण एवं पूर्ण उपचार होने वाली समस्या है। समय पर आहार, पानी, फाइबर, हल्की कसरत और सही जीवनशैली अपनाकर अधिकतर मामलों में आराम पाया जा सकता है। अगर घरेलू उपाय से आराम न मिले या खून/तेज दर्द हो तो आयुर्वेदिक या एलोपैथिक डॉक्टर से मिलकर उपयुक्त उपचार कराएँ।

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