Low Back Pain (कमर दर्द ) के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक व घरेलू उपचार।

कमर दर्द (Low Back Pain) एक आम समस्या है, जो आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक को प्रभावित कर रही है। यह दर्द अल्पकालिक और दीर्घकालिक यानी अस्थायी भी हो सकता है और लंबे समय तक चलने वाला (क्रॉनिक) भी। कमर दर्द के कई कारण  हो सकते हैं, और इसका उपचार – जीवनशैली, खानपान और योग के माध्यम से संभव है।

Low Back Pain/कमर दर्द के प्रमुख कारण

  1. गलत मुद्रा में बैठना या सोना
  2. लंबे समय तक कुर्सी पर बैठे रहना (Desk Job)
  3. मांसपेशियों में खिंचाव या चोट
  4. गर्भावस्था में शारीरिक बदलाव
  5. मोटापा या अधिक वजन
  6. स्लिप डिस्क या स्पोंडिलाइटिस जैसी रीढ़ की बीमारियां
  7. तनाव और मानसिक थकावट
  8. भारी वजन उठाना या गलत तरीके से उठाना

Low Back Pain

लक्षण – कैसे पहचानें कमर दर्द को?

♦पीठ के निचले हिस्से में दर्द या अकड़न
♦झुकने, उठने या चलने में परेशानी
♦पैरों में दर्द, सुन्नपन या झनझनाहट
♦अधिक देर बैठने या खड़े रहने पर दर्द का बढ़ना
♦सुबह उठते समय कमर मे जकड़न महसूस होना

Low Back Pain/कमर दर्द का संपूर्ण आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद में कमर दर्द को “कटिशूल” कहा जाता है। यह प्रायः वात दोष के असंतुलन से उत्पन्न होता है। वात शरीर का वह दोष है जो गति, सूखापन, स्फूर्ति और तंत्रिका नियंत्रण से जुड़ा होता है। जब यह असंतुलित होता है, तो पीठ की मांसपेशियों, हड्डियों और नसों में दर्द की समस्या उत्पन्न करता है।

*आयुर्वेदिक तेल और मालिश

  1. महानारायण तेल –  गठिया, कमर और जोड़ो में दर्द के लिए लाभदायक।
  2. सहचरादि तेल –  वात-जन्य पीड़ा, कटिशूल में    उपयोगी।
  3. विषगर्भ तेल – पुराने कमर दर्द और साइटिका में  लाभकारी।
  4. लहसुन युक्त नारियल या सरसों तेल घरेलू वात नाशक तेल हैं।

इस्तेमाल विधि :-

  • रोज सुबह या रात को प्रभावित स्थान पर गर्म तेल से हल्की मालिश करें।
  • उसके बाद गर्म पानी की बोतल से 10–15 मिनट तक   सेक करें।

*आयुर्वेदिक औषधियां

ये दवाएं केवल योग्य वैद्य से परामर्श के बाद लें :-

  • योगराज गुग्गुलु – वात-शामक, हड्डियों और जोड़ों के दर्द में लाभकारी।
  • महायोगराज गुग्गुलु – पुराने दर्द और नसों की कमजोरी में श्रेष्ठ।
  • दशमूल क्वाथ – दर्द निवारक और सूजन घटाने वाला।
  • अश्वगंधा चूर्ण  – वात-कफ संतुलन, स्नायु शक्ति बढ़ाने में सहायक।
  • रसनादि गुग्गुलु –  गठिया और कटिशूल के लिए उत्तम।

*घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे

लहसुन दूध :-

  • 2–3 लहसुन की कलियां + 1 कप दूध मे उबालें।
  • सेवन विधि – रात को सोने से पहले पिएं — वात को शांत करता है।

अदरक(सौंठ)+हल्दी चूर्ण :-

  • आधा चम्मच हल्दी + चुटकी भर सौंठ
  • सेवन विधि – गुनगुने पानी से दिन में 2 बार लें — सूजन और दर्द में राहत।

त्रिफला चूर्ण :-

  • कब्ज से मुक्ति दिलाकर शरीर से वात को बाहर करता है।
  • सेवन विधि – रात मे भोजन के बाद सोने से पहले।

योग और प्राणायाम

योगासन:-

  • भुजंगासन (Cobra Pose) – रीढ़ की मजबूती
  • मकरासन – कमर को आराम देने वाला।
  • वज्रासन –     पाचन सुधारकर वात संतुलन।
  • पवनमुक्तासन – पेट की गैस निकालने और पीठ दर्द में सहायक।
  • मरजरी आसन (Cat-Cow Pose) – लचीलापन और दर्द में राहत।

प्राणायाम :-

  • अनुलोम-विलोम – वात संतुलन
  • भ्रामरी – मानसिक तनाव में राहत

आहार और परहेज (Diet & Lifestyle)

क्या खाएं :-

  • गर्म, सुपाच्य भोजन
  • ताजा घी, मूँग की खिचड़ी
  • लहसुन, अदरक, त्रिफला
  • तिल का तेल और बादाम
  • गर्म पानी पीना – वात को शांत करता है

क्या न खाएं :-

  • ठंडी, बासी या सूखी चीजें
  • जंक फूड, आइसक्रीम, बर्फीली चीजें
  • अधिक चाय/कॉफी
  • लंबे समय तक भूखे रहना

क्या न करें?

  • झटके से झुकना या वजन उठाना
  • लगातार एक ही पोजीशन में बैठे रहना
  • अधिक ठंडी चीजें खाना
  • बगैर सलाह के दर्द निवारक दवा लेना

दैनिक दिनचर्या (Dinacharya Tips)

  • सुबह सूरज की हल्की किरणों में बैठें
  • प्रत्येक दिन 30 मिनट टहलें
  • गलत मुद्रा में न बैठें
  • भारी वजन न उठाएं
  • देर तक ना खड़े रहें और ना ही झुके रहें

कब डॉक्टर से मिलें?

  • यदि दर्द 1 हफ्ते से ज्यादा बना रहे
  • पैरों में कमजोरी, सुन्नपन या झनझनाहट महसूस हो
  • पेशाब या मल त्याग में कठिनाई हो
  • बुखार या अचानक वजन कम हो रहा हो

-:निष्कर्ष:-

कमर दर्द का इलाज सिर्फ दवाइयों से नहीं बल्कि जीवनशैली में सुधार, योग और आयुर्वेदिक उपचारों के संयोजन से संभव है। यदि आप शुरूआती लक्षणों को पहचानकर समय रहते कदम उठाएं, तो कमर दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।


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