बच्चों में खून की कमी – कारण, लक्षण और पूरी गाइड
Anemia (खून की कमी) तब होता है जब शरीर में haemoglobin या लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या सामान्य से कम हो — जिससे ऑक्सीजन अंगों तक कम पहुँचती है। बच्चों में खून की कमी(एनीमिया) को नजरांदाज करने का असर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर होता हैं।जैसे :- शारीरिक वृद्धि में रुकावट,सीखने में देरी, कमजोरी और प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट।

-:बच्चों में खून की कमी (एनेमिया)के कारण:-
- आयरन की कमी (Iron deficiency) – सबसे आम कारण।
- विटामिन B12 या फोलेट की कमी।
- परजीवी (जैसे कीड़े/worms) -आंतों से कृमि का होना।
- अनुचित आहार / कुपोषण (low dietary intake)।
- रक्तस्राव (जख्म या अन्य कारणों से)।
- आनुवंशिक कारण (जैसे – thalassemia)।
- क्रॉनिक बीमारियाँ (लम्बी-अवधि संक्रमण/क्रॉनिक इन्फेक्शन)।
-: एनेमिया के लक्षण (बच्चों में):-
- थकान, सुस्ती, खेल में रुचि कम होना।
- त्वचा का फीका या पीला होना ।
- साँस फूलना, हृदय की तेज धड़कन।
- ध्यान केंद्रित न कर पाना, सीखने में कमी।
- भूक कम लगना, वजन न बढ़ना या धीमा विकास (growth retardation)।
<यदि लक्षण गंभीर हों तो बाल रोग विशेषज्ञ से तुरंत जांच कराएं।>
-: खून की कमी (एनेमिया) से बच्चों का बचाव:-
- जन्म के बाद शिशु को माँ का दूध (exclusive breastfeeding) पहली 6 माह तक देना।
- 6 माह के बाद आयरन-युक्त अर्ध-ठोस सुपाच्य भोजन अल्प मात्रा से देना शुरू करें।
- कृमि नाशक (deworming) कार्यक्रमों का पालन – स्कूल/आंगनवाड़ी से जुड़ी पहल का लाभ लें
- पोषण से भरपूर विविध आहार (फल, सब्जियाँ, दालें, मीट/मछली/अंडे जहाँ उपयुक्त हो दें)।
- लौह-पूरक सप्लिमेंट स्वास्थ्यकर्मी के सुझाव से दें।
-:आधुनिक उपचार (Allopathic / Clinical):-
- डायग्नोसिस(Diagnosis) – डॉक्टर CBC (Complete Blood Count) में haemoglobin स्तर पता करेंगे; WHO के haemoglobin cutoff दिशानिर्देश निदान में उपयोग होते हैं।
- आयरन सप्लीमेंट्स – आयरन सिरप/टेबलेट – डॉक्टरी निर्देश के अनुसार। (खुराक उम्र व गंभीरता पर निर्भर)।
- विटामिन-B12 / फोलेट सप्लीमेंटेशन यदि जरुरत हो।
- रक्त परिवर्तन (Blood transfusion) – बहुत गंभीर मामलों में।
- बुनियादी कारण का उपचार – जैसे कीड़े/क्रोनिक इंफेक्शन का उपचार, थैलसीमिया जैसी inherited बीमारियों के लिये विशेषज्ञ मानक।
< नोट: किसी भी सप्लिमेंट या मेडिसिन की सही डोज और अवधि केवल बाल रोग विशेषज्ञ/चिकित्सक के बताएं अनुसार।>
-:आयुर्वेदिक उपचार (सहायक उपाय और सुरक्षित दृष्टिकोण):-
आयुर्वेद में खून की कमी (रक्त अल्पता) पर कई पौष्टिक और सामंजस्यपूर्ण उपाय बताए जाते हैं। कुछ सामान्य सुझाव:-
- लौह समृद्ध आयुर्वेदिक सूत्र – केवल प्रमाणित उत्पाद और आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से।
- आहार-आधारित नुस्खे – गाजर-चुकंदर का रस (मात्रा नियंत्रित), शहतूत/अंजीर/खजूर जैसी सूखी मेवे।
- हरिद्रा (हल्दी) + पिप्पली युक्त जूस/काढ़ा –इम्युनिटी व पाचन सुधारने के उद्देश्य से।
- आयुर्वेदिक टॉनिक्स (रासायनिक नहीं) – केवल प्रमाणित क्लिनिक/डाक्टर से परामर्श कर के लें।
<चेतावनी – आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ सहायक हो सकती हैं, पर किसी भी सप्लीमेंट या जड़ी-बूटी को आधुनिक दवाओं के साथ बिना चिकित्सक की सलाह के न मिलाएँ। कुछ जड़ी-बूटियाँ आयरन के अवशोषण या मेडिसिन के साथ इंटरैक्शन कर सकती हैं।>
-:घरेलू नुस्खे (सुरक्षित व आसान):-
- चुकंदर (Beetroot) + गाजर का हल्का रस (छोटी मात्रा में, चीनी कम)।
- खजूर + बादाम का मिश्रण — छोटे टुकड़ों में और सीमित मात्रा।
- सीरियल(Cereal)/दलिया में सूखे मेवे और चिया/तिल के बीज।
- नींबू के साथ आयरन-समृद्ध खाद्य (जैसे पालक) खाने से विटामिन C के कारण आयरन का अवशोषण बढ़ता है।
- नियमित हाथ धोना व स्वच्छता — ताकि इन्फेक्शन्स/पैरासाइट्स कम हों।
<घरेलू नुस्खे सहायक होते हैं पर यदि बच्चा बहुत कम Hemoglobin दिखाता है तो मेडिकल इलाज अनिवार्य है।>
-:डाइट चार्ट (उम्र 1–5 साल के बच्चों के लिए – दैनिक सुझाव):-
यह एक सामान्य सुझाव है – किसी विशेष बच्चे (वजन, स्वास्थ्य स्थिति) के अनुसार डाइट भिन्न हो सकती हैं। इसलिए पोषण विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।
सुबह (नाश्ता):-
- 1 कटोरी पोहा/दलिया (दूध से मिलाकर)
- 2–3 छोटे टुकड़े कटे हुए फल (केला/संतरा)
मध्य-सुबह:-
- 1–2 खजूर या 3–4 बादाम (भिगोए हुए)
दोपहर (लंच):-
- 2-3 चपातियाँ (गेहूँ/मल्टीग्रेन) + दाल/छोले + सब्जी (पालक/भिंडी) + दही
शाम (नाश्ता):-
- मूंग दाल चिल्ला या हरी सब्जी-सैंडविच + एक फल
रात (डिनर):-
- हल्का पुलाव या सब्जियों के साथ दलिया + सूप
सोने से पहले:-
- 1 ग्लास दूध (यदि एलर्जी न हो) या सूखे मेवे का पेस्ट
टिप्स:-
- हरी पत्तेदार सब्जियाँ (पालक), दालें, चना, अंडे (उपयुक्त आयु पर), मछली/पोल्ट्री (यदि खाते हों) शामिल करें।
- विटामिन-C वाले फलों (संतरा, नींबू) को आयरन-युक्त खाने के साथ दें ताकि अवशोषण बढ़े।
-:परहेज (क्या कम करना/नहीं करना चाहिए):-
- चाय/कॉफी (विशेषकर दूधवाली चाय) भोजन के साथ न दें यह आयरन के अवशोषण को रोक सकता है।
- ज्यादा फास्ट फूड, चीनी और प्रोसेस्ड स्नैक्स कम दें।
- कच्ची और अज्ञात स्रोत वाली मछली/खाद्य पदार्थ से बचें।
- बड़े पैमाने पर सप्लीमेंट/दवाइयाँ बिना परामर्श न दें।
World Health Organisation और भारत सरकार की पहल
WHO – बच्चों और महिलाओं में एनीमिया के वैश्विक आंकड़ों और haemoglobin cutoff दिशानिर्देशों ddका प्रकाशन करती रहती है; WHO ने हाल के दिशानिर्देश haemoglobin के मानक और माप के तरीकों पर अपडेट दिए हैं।
भारत (Anemia Mukt Bharat / Anaemia Mukt Bharat – AMB) :-
केंद्र सरकार ने एनेमिया मुक्त भारत रणनीति लागू की है – जिसमें 6×6×6 एप्रोच (6 इंटरवेंशन्स, 6 लक्षित समूह, 6 संस्थागत मैकेनिज्म) के जरिए बच्चों, किशोरों और महिलाओं को लक्षित कर आयरन-फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन, स्क्रीनींग,डिवार्मिंग आदि कराये जा रहे हैं। हालिया रिपोर्टों में AMB के माध्यम से करोड़ों बच्चों/किशोरों को IFA सप्लीमेंट दिए जाने का दावा किया गया है और राज्य-स्तरीय गतिविधियाँ चल रही हैं।
भारत में खून की कमी से प्रभावित बच्चों के आंकड़े (मुख्य बिंदु):-
WHO के वैश्विक अनुमानों के अनुसार बच्चों (6–59 महीने) में एनीमिया व्यापक है – विश्व स्तर पर लगभग 40% बच्चों को प्रभावित करने का अनुमान है।
भारत का आंकड़ा (NFHS-5 / सरकारी रिपोर्ट) –राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-5, 2019-21) व सरकार/PIB के हालिया बयानों में बच्चों (6–59 महीने) में एनीमिया की प्रचलन दर 60% से ऊपर बताई गई है (सरकारी पैमाने पर 67.1% जैसी रिपोर्टें/संदर्भ उपलब्ध रहे हैं)। ये आँकड़े राज्य-वार अलग होते हैं और उपसमूहों (गरीबी, आहार, शहरी/ग्रामीण) पर निर्भर हैं।
< संक्षेप:- भारत में बच्चों में एनीमिया एक बड़ा सार्वजनिक-स्वास्थ्य मुद्दा है – इसलिए स्क्रीनींग, पोषण और सरकारी कार्यक्रम अतिशय महत्वपूर्ण हैं।>
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
Q1: बच्चों में एनीमिया की जाँच कैसे होती है?
A: सामान्यतः CBC (Complete Blood Count) टेस्ट से haemoglobin (Hb) मापा जाता है। WHO के haemoglobin cutoffs निदान में उपयोग होते हैं।
Q2: क्या आयरन-सिरप से दांत पीले हो जाते हैं?
A: कुछ आयरन-सिरप दांतों पर थोड़े दाग छोड़ सकते हैं
Q3: क्या पूरा इलाज घर पर हो सकता है?
A: हल्के मामलों में पोषण व सप्लिमेंट से सुधार होता है, पर मध्यम/गंभीर मामलों में डॉक्टर की निगरानी व सम्भवतः मेडिकल उपचार आवश्यक है।
Q4: एनीमिया और थैलसीमिया में फर्क कैसे पता चलेगा?
A: थैलसीमिया एक आनुवंशिक समस्या है। इसके लिए HPLC/hemoglobin electrophoresis जैसे टेस्ट की आवश्यकता होती है। डॉक्टर से परामर्श करें।
-:निष्कर्ष:-
बच्चों में एनीमिया रोकना और उसका समय पर पहचान कर उपचार कराना बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए निहायत आवश्यक है। सही आहार, आईएफए सप्लिमेंटेशन (जहाँ जरूरी), डिवार्मिंग और सरकारी-स्कूल/आंगनवाड़ी-आधारित कार्यक्रम (जैसे- एनेमिया मुक्त भारत) का लाभ उठाकर बड़े स्तर पर सुधार सम्भव है। किसी भी संदेह या लगातार लक्षण दिखने पर बाल रोग विशेषज्ञ से जाँच अवश्य कराएँ।
उपरोक्त जानकारियां निम्नलिखित स्रोतो से प्राप्त हैं:-
1. WHO — Anaemia fact sheet / health topics.
2. WHO — Guideline on haemoglobin cutoffs to define anaemia (2024).
3. National Family Health Survey (NFHS-5) / Government of India रिपोर्ट और PIB/MoHFW प्रेस-रिलीज।
4. Anemia Mukt Bharat — National Health Mission (NHM) / MoHFW विवरण।
इन्हें पढ़ें:-
Vaccination/Immunization/टीकाकरण कार्यक्रम(उम्र 0-16 वर्ष)
Bedwetting/बिस्तर गीला करने की समस्या का 3 effective उपचार।
Malnutrition/कुपोषण :- कारण, लक्षण, प्रभाव,आहार और निवारण।