Night Blindness/Nyctalopia (नाइक्टालोपिया)/रतौंधी : कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार।
Night Blindness (Nyctalopia) जिसे हिंदी में रतौंधी कहा जाता है।Night Blindness/रतौंधी आंखों की एक आम लेकिन गंभीर समस्या है।रतौंधी में रोगी को रात के समय या कम रोशनी में ठीक से दिखाई नहीं देता। आयुर्वेद में इसे “नक्तान्ध्य” कहा गया है।
यह समस्या अक्सर विटामिन A की कमी, आंखों की बीमारियों या उम्र बढ़ने से जुड़ी होती है। समय पर उपचार न होने पर यह स्थायी अंधेपन का कारण बन सकती है।

-: Night Blindness(Nyctalopia) रतौंधी क्या है? :-
Night Blindness (Nyctalopia) या रतौंधी एक ऐसी नेत्र विकार है जिसमें व्यक्ति को रात या धुंधली रोशनी में देखने में कठिनाई होती है।
दिन में सामान्य दिखता है
लेकिन रात या अंधेरे में आंखें ठीक से काम नहीं करती हैं।
-: Night Blindness/रतौंधी के मुख्य कारण :-
- विटामिन A की कमी – विटामिन A की कमी से आंखों में रोड(Rod) सेल्स की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिससे अंधेरे में दृष्टि धुंधली हो जाती है।
- रेटिना की बीमारियां (Retinitis Pigmentosa) – यह एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे रेटिना की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं।शुरुआत में रात में दिखना कम होता है और आगे चलकर दिन में भी समस्या आने लगती है।
- ग्लूकोमा – ग्लूकोमा एक गंभीर नेत्र रोग है जिसमें आँख के अंदर का द्रव (आँख का जलीय द्रव्य) सही तरीके से बाहर नहीं निकल पाता, जिससे आँख के अंदर दबाव बढ़ जाता है। इस बढ़े हुए दबाव से आँख की ऑप्टिक तंत्रिका (optic nerve) को नुकसान पहुँचता है, जो धीरे-धीरे दृष्टि हानि का कारण बनता है। अगर इस रोग का समय पर उपचार न किया जाए तो इससे अंधापन भी हो सकता है
- मोतियाबिंद (Cataract) – लेंस धुंधला होने से कम रोशनी में देखने की क्षमता घटती है।
- डायबिटीज – रेटिना को नुकसान पहुंचा कर दृष्टि को प्रभावित करता है।
- जिंक की कमी – जिंक विटामिन A को आंखों तक ले जाने का काम करता है,जिंक की कमी से विटामिन A को रेटिना तक पहुंचने में बाधा उत्पन्न होती हैं।
- दवाइयों का असर – कुछ दवाइयाँ रेटिना की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
- तेज धूप और आँखों की क्षति – अधिक देर तक तेज धूप में रहने से रेटिना को नुकसान पहुँच सकता है, जिससे रतोंधी पैदा हो सकती है।
- लिवर संबंधी रोग – लिवर की समस्या के कारण विटामिन A का अवशोषण कम हो जाता है, जिससे रतोंधी हो सकती है।
-: Night Blindness/रतौंधी के लक्षण :-
- रात या अंधेरे में देखने में कठिनाई।
- कम रोशनी वाले स्थानो (सिनेमा हॉल, टनल आदि) में परेशानी
- धुंधला दिखाई देना।
- आंखों में सूखापन व जलन।
- बार-बार ठोकर लगना या चीजों से टकराना।
- कार की हेडलाइट या तेज रोशनी देखते समय असहजता।
-:Night Blindness/रतौंधी के प्रकार :-
- पोषण संबंधी – विटामिन A की कमी से।
- आनुवांशिक – जन्मजात या परिवार से संबंधित।
- रोगजन्य – मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, डायबिटीज आदि से जुड़ा।
-: रतौंधी की जांच, घरेलू नुस्खे और आयुर्वेदिक उपचार :-
जांच :-
- नेत्र परीक्षण (Eye Examination)
- विजुअल फील्ड टेस्ट
- रेटिना टेस्ट
- ब्लड टेस्ट (विटामिन A स्तर जांच)
आधुनिक उपचार :-
- विटामिन A सप्लीमेंट्स
- मोतियाबिंद सर्जरी
- ग्लूकोमा का इलाज (आई ड्रॉप, लेजर, सर्जरी)
- रेटिनल बीमारियों का इलाज (दवाएं, लेजर थेरेपी)
आयुर्वेदिक उपचार :-
आयुर्वेद में रतौंधी को “नक्तान्ध्य” कहा गया है और मुख्य कारण पित्त दोष की वृद्धि मानी गई है। इसके आयुर्वेदिक उपचार निम्न हैं :-
- त्रिफला चूर्ण – रात में त्रिफला चूर्ण को पानी में भिगोकर सुबह छानकर उससे आंख धोएं।इससे आंखों की रोशनी बेहतर होती है।
- आंवला – रोज सेवन करें यह नेत्र ज्योति बढ़ाने में सहायक होता हैं।
- गिलोय व नीम – इम्यूनिटी और सूजन में सहायक
- गाजर व शकरकंद – प्राकृतिक विटामिन A स्रोत
- गुलाब जल – आंखों का सूखापन कम करता है
घरेलू नुस्खे :-
- गाजर का रस रोज पीना
- हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन
- मक्खन + शहद का सेवन
- खजूर और दूध को आहार मे शामिल करें
- अलसी और अखरोट का सेवन
रतौंधी में आहार :-
आहार में शामिल करें – गाजर, शकरकंद, कद्दू, हरी सब्जियां, अंडे, मछली, दूध, दही, घी, खजूर, पपीता।
बचें – जंक फूड, तला-भुना, अधिक चीनी।
-: नेत्र स्वास्थ्य के लिए योग और प्राणायाम :-
*त्राटक क्रिया*
त्राटक क्रिया एकाग्रता और नेत्र स्वास्थ्य के लिए प्रसिद्ध योग विधि है, जिसमें किसी एक बिंदु, दीया या मोमबत्ती की लौ को एकटक देखा जाता है।
त्राटक क्रिया करने की विधि –
- किसी शांत और कम रोशनी वाले स्थान पर सीधे बैठ जाएँ। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।
- अपनी पसंदीदा वस्तु जैसे दीया, मोमबत्ती, काले/सफेद बिंदु, भगवान या किसी चिह्न को आंखों के स्तर पर, लगभग दो-तीन फीट दूर रखें।
- कुछ गहरी सांस लें, अपना ध्यान केंद्रित करें और आंखें बंद कर लें। कुछ क्षण ऐसे ही शिथिल रहें।
- अब आंखें खोलें और बिना पलक झपकाए उस वस्तु को एकटक देखें। मन को पूरी तरह उसी बिंदु पर केंद्रित करें, ध्यान रहे कि आंखों पर अधिक दबाव न आए।
- संभव हो तो 10-15 सेकंड से शुरू करें, धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएँ।
- जब आंखों में पानी आने लगे या थकान महसूस हो, तो आंखें बंद कर लें और वस्तु की छवि का ध्यान मन में करें।
- इसी प्रकार 3-4 बार दोहराएँ। आँखें बंद करने के बाद एक या दो मिनट उसी छवि पर ध्यान केंद्रित रखें।
प्रमुख बातें और सावधानियाँ :-
- अभ्यास खाली पेट या भोजन के 2 घंटे बाद करें।
- आँखों में जलन या थकान लगे तो तुरंत बंद करें।
- समय धीरे-धीरे बढ़ाएँ, एकदम ज्यादा देर ना करें।
- चश्मा या लेंस पहनते हैं तो अभ्यास से पहले उतार दें।
- सप्ताह में 2-3 बार से शुरू करें, नियमित अभ्यास बढ़ाएँ।
- त्राटक से आँखों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, एकाग्रता बढ़ती है और मानसिक शांति मिलती है।
*पल्मिंग*
पल्मिंग योग एक नेत्र व्यायाम है जिसे आंखों को आराम देने और थकान दूर करने के लिए किया जाता है।यह विशेष रूप से आंखों की स्वास्थ्य के लिए उपयोगी माना जाता है।
पल्मिंग योग करने की विधि –
- किसी शांत स्थान पर आराम से बैठ जाएँ।
- दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ें, जब तक वह गर्म न हो जाएँ।
- आंखें बंद कर लें।
- हथेलियों को हल्के दबाव के साथ अपनी बंद आंखों पर रखें, ध्यान रहे कि हथेलियाँ आंखों पर हल्का स्पर्श कर रहीं हों और दबाव न पड़े।
- अब गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें, इस दौरान आंखों को पूरी तरह शिथिल रखें।
- 1-2 मिनट ऐसे ही बैठे रहें और फिर धीरे-धीरे हथेलियाँ हटाएँ।
प्रमुख बिंदु –
- हथेलियाँ साफ और गर्म होनी चाहिए।
- आंखों पर अधिक दबाव न डालें।
- प्रक्रिया के दौरान पूरी तरह शांति रखें।
कब करें –
- पढ़ाई या स्क्रीन देखने के बाद, या जब आंखों में थकान महसूस हो।
- रोजाना कई बार किया जा सकता है।
- यह विधि आंखों की थकान और तनाव को दूर करने के लिए बहुत प्रभावशाली है।
*भ्रमरी प्राणायाम *
भ्रमरी प्राणायाम की विधि –
- किसी शांत और हवादार जगह पर आराम से बैठ जाएँ, सुखासन में बैठना श्रेष्ठ माना जाता है।
- आंखें बंद कर लें और पूरे शरीर को शिथिल करें।
- तर्जनी उंगलियों को कानों की उपास्थि (cartilage) पर रखें, ध्यान रहे कि उंगली कान के अंदर न जाए।
- गहरी सांस नाक से अंदर लें।
- सांस छोड़ते हुए मुँह बंद रखें और मधुमक्खी जैसी भिनभिनाहट वाली ‘हम्म…’ ध्वनि निकालें।
- इस दौरान उंगलियों से उपास्थि को हल्का सा दबाएँ।
- यही प्रक्रिया 3-4 बार दोहराएँ।
प्रमुख बिंदु –
- मुँह जरूर बंद रखें और नाक से ही सांस लें तथा बाहर छोड़ें।
- ध्वनि जितनी ऊँची होगी, उतना मन शांत होगा।
- अभ्यास प्रातः खाली पेट या दिन में कभी भी किया जा सकता है।
- सभी उम्र के लोग इसे कर सकते हैं।
सावधानियाँ –
- उंगली को केवल कान की उपास्थि पर रखें, बहुत जोर से दबाएँ नहीं।
- अधिक बार न करें, 3-4 बार पर्याप्त माना जाता है।
- यह प्राणायाम हमेशा शांत वातावरण में करें
*ठंडे पानी से नेत्र स्नान*
ठंडे पानी से नेत्र स्नान एक प्राचीन और प्रभावी उपाय है जो आंखों को शीतलता, तरोताजगी और आराम प्रदान करता है। इसे नियमित करने से आंखों की थकान, जलन और सूजन में राहत मिलती है, साथ ही नेत्र रोगों से भी बचाव होता है।
ठंडे पानी से नेत्र स्नान की विधि –
- एक साफ और ठंडा पानी तैयार करें, पानी बिल्कुल स्वच्छ और ताजा होना चाहिए, बेहतर है कि पानी का तापमान बहुत ठंडा न हो बल्कि हल्का ठंडा हो।
- नेत्र स्नान के लिए “आई कप” (छोटा नीला ग्लास) या साधारण छोटे ग्लास का उपयोग कर सकते हैं.
- सिर को हल्का नीचे झुका कर आंखों को खोलें और धीरे-धीरे ठंडे पानी को आंखों में डालें या आंखों पर छींटे मारें।
- अगर आई कप है तो उसमें पानी भर कर आंखें उसमें खोलें और बंद करें, इससे आंखों की गंदगी और थकान दूर होती है।
- त्रिफला पाउडर मिला हुआ पानी छानकर या पानी में नमक मिलाकर भी नेत्र स्नान किया जा सकता है, यह नेत्रों को अधिक शीतलता और संतुलन प्रदान करता है।
- नेत्र स्नान के बाद आंखों को नरम तौलिए से हल्के हाथों से पोंछें।
- दिन में तीन बार या जब भी आंखों में जलन या थकान हो तब नेत्र स्नान कर सकते हैं।
लाभ –
- नेत्र में तरोताजगी और शीतलता का अनुभव होता है।
- आंखों की थकान, जलन और सूजन में कमी आती है।
- नेत्र रोगों से रक्षा होती है और दृष्टि में सुधार हो सकता है।
- शरीर की तंत्रिकाएं शिथिल होती हैं जिससे सुखद अनुभूति होती है।
सावधानियाँ –
- पानी साफ और सुरक्षित होना चाहिए, कहीं भी मैला या प्रदूषित पानी उपयोग न करें।
- बर्फ जैसा बहुत ठंडा पानी आँखों के लिए उचित नहीं होता।
- अगर आंखों में कोई चोट, संक्रमण या गंभीर समस्या हो तो नेत्र विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है।
- ठंडे पानी से नेत्र स्नान नेत्रों को स्वस्थ, शीतल और ऊर्जावान बनाता है तथा नियमित अभ्यास से आंखों की समस्याओं में भी राहत मिलती है।
-: बच्चों में रतौंधी :-
WHO के अनुसार, भारत में बच्चों में यह आम समस्या है। बचाव के लिए नियमित विटामिन A डोज और पौष्टिक आहार जरूरी है।
-: रतौंधी से बचाव :-
- संतुलित आहार लें
- नियमित आंख जांच कराएं
- धूप का चश्मा पहनें
- डायबिटीज व BP नियंत्रित रखें
- मोबाइल/कंप्यूटर का अधिक उपयोग न करें
-: निष्कर्ष :-
रतौंधी केवल एक सामान्य समस्या नहीं बल्कि गंभीर नेत्र रोग का संकेत हो सकती है। सही आहार, आयुर्वेदिक उपाय और नियमित जांच से इससे बचाव और उपचार संभव है।
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