Dental problems/बच्चों और वयस्कों में दांत की समस्याएं और घरेलू व आयुर्वेदिक उपचार
Dental problems परिचय :- दांत हमारे शरीर का एक अहम हिस्सा हैं, जो केवल भोजन चबाने के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे चेहरे की सुंदरता और आत्मविश्वास के लिए भी जरूरी हैं। यदि हमारे दांतों में कोई समस्या जैसे – दांतों में कीड़े लगना (Dental Caries),मसूड़ों की सूजन,टेढ़े-मेढ़े दांत (Malalignment),सेंसिटिविटी,मुंह से दुर्गंध हो तो व्यक्ति के सुंदरता और आत्मविश्वास को आघात पहुंचता है।
इस लेख में हम जानेंगे दांतों की समस्याएं, कारण, लक्षण, दांतों की घरेलू देखभाल और आयुर्वेदिक समाधान।

-: Dental problems in children/बच्चों में दांतों की सामान्य समस्याएं :-
- दूध के दांत समय से पहले गिरना
- दांतों में कीड़े लगना (Dental Caries)
- मसूड़ों की सूजन
- टेढ़े-मेढ़े दांत (Malalignment)
- सेंसिटिविटी
- मुंह से दुर्गंध
-: Dental problems in Adults/वयस्कों में दांत संबंधी समस्याएं :-
- पायरिया (Periodontitis) – मसूड़ों से खून आना।
- टूथ डिके (Tooth Decay) – दांतों में सड़न।
- दांतों में सेंसिटिविटी – एक ऐसी स्थिति है जिसमें ठंडी, गर्म, मीठी या खट्टी चीजें खाने या पीने पर दांतों में झनझनाहट और दर्द होना।
- दांतों का ढीला होना
- दांतों में पीलापन
-: Dental problems/दांतों की समस्याओं के कारण :-
- अधिक मीठा – शक्कर से बैक्टीरिया सक्रिय होते हैं
- जंक फूड और सॉफ्ट ड्रिंक – दांतों की इनेमल कमजोर होती है
- गलत ब्रशिंग – मसूड़े और इनेमल को नुकसान
- तंबाकू / धूम्रपान – पायरिया और सांसों की बदबू
-: दांतों की देखभाल के घरेलू उपाय :-
- दिन में दो बार ब्रश करें
- सॉफ्ट ब्रश का उपयोग करें
- खाने के बाद कुल्ला करें
- शक्कर और जंक फूड से परहेज करें
- हर 6 महीने में डेंटल चेकअप
-: आयुर्वेदिक उपचार और जड़ी-बूटियां :-
- त्रिफला – दांतों की सफाई और बैक्टीरिया नाशक
- नीम – एंटीसेप्टिक, दातुन के लिए उत्तम
- बबूल – मसूड़ों को मजबूती देता है
- लौंग का तेल – दर्द से राहत और कीड़े की समस्या में उपयोगी
-: दांतों के लिए घरेलू नुस्खे :-
- लौंग तेल + नारियल तेल मिलाकर दर्द वाले स्थान पर लगाएं
- नमक और सरसों तेल की मसूड़ों पर मालिश करें
- गुनगुने पानी में हल्दी और सेंधा नमक डालकर कुल्ला करें
- नीम या बबूल की दातुन करें
-: बच्चों की दांतों की देखभाल :-
- 1 वर्ष की उम्र से ब्रशिंग की आदत डालें
- मीठा खाने के बाद कुल्ला कराएं
- रात को दूध के बाद पानी जरूर पिलाएं
-: कब डॉक्टर को दिखाएं? :-
- दर्द लागातार बना रहे
- मसूड़ों से मवाद या खून आए
- दांत हिलने या गिरने लगें
-: आयुर्वेदिक लाइफस्टाइल और योग :-
✳️ऑयल पुलिंग – तिल/नारियल तेल से 5-10 मिनट कुल्ला
✳️प्राणायाम – भ्रामरी प्राणायाम ,शीतली प्राणायाम,शीतकारी प्राणायाम
शीतली प्राणायाम करने की विधि :-
- किसी आरामदायक ध्यान की मुद्रा में बैठ जाएं, जैसे सुखासन, पद्मासन या सिद्धासन, और हाथों को ज्ञान मुद्रा में घुटनों पर रखें।
- अपनी आंखें बंद कर शरीर को पूरी तरह शिथिल करें।
- जीभ को बाहर निकालें और उसके किनारों को रोल करें ताकि यह ट्यूब या नली जैसी बन जाए।
- इस ट्यूब के माध्यम से धीरे-धीरे सांस अंदर लें। सांस लेने के दौरान बात तेज हवा के समान ध्वनि उत्पन्न होनी चाहिए।
- सांस पूरा लेने के बाद जीभ को मुंह के अंदर वापस लेकर मुंह बंद कर लें।
- फिर नाक के माध्यम से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
- इस चक्र को कम से कम 9 बार दोहराएं, बाद में इसे बढ़ाकर 30-40 बार भी किया जा सकता है।
- शीतकारी प्राणायाम करने की विधि :-किसी आरामदायक ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं, जैसे सुखासन, पद्मासन या सिद्धासन, और हाथों को ज्ञान मुद्रा में घुटनों पर रखें।
- आंखें बंद कर शरीर को शिथिल करें।
- इस प्राणायाम में सांस अंदर लेते समय मुंह को थोड़ा खोलें और नासिका के बजाय मुंह से सांस लेना होता है, लेकिन जीभ को शीतली प्राणायाम के विपरीत नली जैसी मोड़ें नहीं बल्कि मुंह को थोड़ा खोलकर सांस अंदर लें। शीतकारी प्राणायाम में सांस भीतर लेते समय जीभ को जोर से बाहर निकालना आवश्यक नहीं होता।
- सांस धीरे-धीरे पूरी लें और फिर नाक से धीरजसपूर्वक बाहर छोड़ें।
- सांस लेने और छोड़ने के दौरान धीमी और शांत ध्वनि उत्पन्न करें।
- इस प्रक्रिया को 8-10 बार दोहराएं।
*शीतकारी प्राणायाम को “हिसिंग ब्रीद” भी कहा जाता है*
नोट :- शीतली प्राणायाम और शीतकारी प्राणायाम दोनों ही दांतों और मसूड़ों की समस्याओं में उपयोगी हो सकते हैं।
इसलिए दोनों प्राणायामों का सही और नियमित अभ्यास दांतों एवं मसूड़ों की समस्याओं में उपयुक्त लाभ दे सकता है, पर किसी भी समस्या के लिए डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है
योग मुद्रा – जिव्हा मुद्रा
जिव्हा मुद्रा करने की विधि :-
1. बैठने की स्थिति
- पद्मासन, सिद्धासन या सुखासन में सीधे बैठ जाएं।
- रीढ़ की हड्डी सीधी और आँखें बंद रखें।
2. श्वास-प्रश्वास सामान्य करें
- कुछ देर गहरी सांस लें और छोड़ें ताकि मन शांत हो जाए।
3. जिह्वा की स्थिति
- जीभ को धीरे-धीरे मोड़कर उसे तालु (ऊपरी तालु / soft palate) से लगाएं।
- शुरुआत में जीभ सिर्फ ऊपरी तालु से लगेगी।
4. ध्यान केंद्रित करें
- जीभ को तालु से लगाकर उसी अवस्था में रहते हुए ध्यान आज्ञा चक्र (भौंहों के बीच) पर केंद्रित करें।
- सामान्य रूप से श्वास लेते और छोड़ते रहें।
5. अवधि
- प्रारंभ में 1–2 मिनट तक करें।
- धीरे-धीरे अभ्यास के साथ समय 5–10 मिनट तक बढ़ा सकते हैं।
ध्यान रखें – जिव्हा मुद्रा सीधे दांतों का इलाज नहीं करती, यह सहायक अभ्यास है।इसे रोजाना करने से मुख की प्राकृतिक सफाई और प्रतिरोधक क्षमता (oral immunity) बेहतर हो सकती है।
-: निष्कर्ष :-
दांतों की समस्याएं आम होते हुए भी गंभीर हो सकती हैं। उचित देखभाल, संतुलित आहार, नियमित सफाई और आयुर्वेदिक उपायों से हम दांतों को स्वस्थ रख सकते हैं।
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