Cataract/मोतियाबिंद – कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार।
Cataract/मोतियाबिंद आंखों से संबंधित एक आम लेकिन गंभीर समस्या है। इस बिमारी में आंखों के लेंस (lens) के ऊपर एक सफेद परत जम जाती है। जिससे व्यक्ति की दृष्टि धुंधली हो जाती हैं।ऐसी स्थिति में किसी भी वस्तु को साफ और स्पष्ट देखने में परेशानी होती है। यह समस्या आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ होती है, लेकिन कभी-कभी यह युवाओं या बच्चों में भी देखी जा सकती है।
जब आंखों का प्राकृतिक लेंस धुंधला होने लगता है, तो रोशनी रेटिना तक सही ढंग से नहीं पहुंच पाती, जिससे दृष्टि कमजोर होती है।
-: Cataract/मोतियाबिंद के मुख्य कारण (Causes) :-
मोतियाबिंद कई कारणों से हो सकता है,जिनमें प्रमुख हैं:-
- उम्र बढ़ना (Ageing) – 50 वर्ष से ऊपर की आयु में
यह समस्या सामान्य है। - डायबिटीज – मधुमेह से पीड़ित लोगों को मोतियाबिंद
जल्दी हो सकता है। - धूप के संपर्क में रहना – अधिक समय तक UV किरणों
के संपर्क में आने से आंखें प्रभावित होती हैं। - आंखों में चोट लगना या ऑपरेशन होना।
- अनुवांशिक कारण (Genetic) – परिवार में किसी को
यह समस्या हो, तो उनके बच्चों में भी यह समस्या
अनुवांशिक रूप से होने की संभावना रहती है। जिसके
कारण उम्र बढ़ने के साथ इस बिमारी के लक्षण उन
बच्चों में दिखने लगते हैं। - धूम्रपान और शराब का सेवन।
- स्टेरॉइड दवाओं का अधिक प्रयोग।
-: Cataract/मोतियाबिंद के लक्षण (Symptoms) :-
मोतियाबिंद के लक्षण अचानक नहीं दिखते हैं ये धीरे-धीरे प्रकट होते हैं और ये लक्षण निम्न हो सकते हैं :-
- धुंधली या धूसर दृष्टि
- रात में देखने में कठिनाई
- तेज रोशनी में चकाचौंध महसूस होना
- रंग फीके या पीले दिखने लगना
- दोहरी छवि दिखना
- चश्मे का नंबर बार-बार बदलना
- पढ़ने या साफ देखने में परेशानी
-: Cataract/मोतियाबिंद के आधुनिक उपचार :-(AllopathicTreatment)
*जांच (Diagnosis) –
- Slit lamp test
- Retinal exam
- Visual acuity test
*इलाज (Treatment) –
- शुरुआत में चश्मे के जरिए दृष्टि को सुधारने की कोशिश की जाती है।
- जब मोतियाबिंद अधिक बढ़ जाए, तब ऑपरेशन ही अंतिम विकल्प होता है।
*ऑपरेशन (Surgery) –
- Phacoemulsification (फेको) :- सबसे आधुनिक तरीका है जिसमें एक छोटा चीरा लगाकर लेंस बदला जाता है।
- Lens Replacement :- धुंधले लेंस को हटाकर कृत्रिम लेंस (IOL – Intraocular Lens) लगाया जाता है।
️⃣ऑपरेशन लगभग 15–20 मिनट में हो जाता है और व्यक्ति कुछ ही दिनों में सामान्य जीवन में लौट सकता है।
-: Cataract का आयुर्वेदिक उपचार :-
(Ayurvedic Treatment)
आयुर्वेद में मोतियाबिंद को”Timira” कहा जाता है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से यह त्रिदोष विकृति (विशेषकर वात दोष) के कारण होता है।
-: प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियां :-
1. त्रिफला चूर्ण और त्रिफला घृत –
- त्रिफला = हरितकी (हरड़) + अमलकी (आंवला) + बिभीतकी (बहेड़ा)।
- यह आंखों के लिए एक प्राकृतिक टॉनिक है।
लाभ –
- आंखों की सफाई और थकान दूर करता है।
- दृष्टि दोष (धुंधलापन, कमजोर नजर) में लाभकारी।
- त्रिफला घृत आंखों को नमी और ठंडक प्रदान करता है।
उपयोग विधि –
- त्रिफला चूर्ण – रात को 1 चम्मच गुनगुने पानी से लें।
- त्रिफला जल – 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण रातभर पानी में भिगो दें, सुबह छानकर उस पानी से आंखें धोएं।
- त्रिफला घृत – 1–2 चम्मच दूध के साथ सुबह-शाम लें।
2. चंदनासव और पंचतिक्त घृत –
चंदनासव –
आंखों की जलन, लालिमा और अधिक गर्मी को शांत करता है।
पंचतिक्त घृत –
- दृष्टि दोष और आंखों की सूजन में उपयोगी।
- शरीर से विषैले तत्व निकालकर वात-पित्त को संतुलित करता है।
3. शतावरी और गिलोय – रसायन औषधियां –
- शतावरी आंखों को ठंडक और पोषण देती है।
- गिलोय रक्त शुद्ध कर आंखों की सूजन और एलर्जी में लाभ देती है।
उपयोग विधि –
- शतावरी चूर्ण – 1–2 चम्मच दूध के साथ सुबह-शाम।
- गिलोय रस – 10–15 ml सुबह खाली पेट।
- गिलोय घनवटी (Tablet) – 1–2 गोली दिन में 2 बार गुनगुने पानी से।
4. नस्य कर्म (नाक में औषध डालना)
नाक को आयुर्वेद में “शिरसों द्वार” अर्थात मस्तिष्क तक पहुंचने का रास्ता कहा गया है। नस्य कर्म का तरीका और विधि निम्नानुसार है :-
- औषध तेल (जैसे अनुतैल, शद्बिंदु तेल) नाक में डाले जाते हैं।
लाभ –
- वात दोष संतुलित करता है।
- आंखों की थकान, शुष्कता और दृष्टि दोष में सहायक।
- सिरदर्द और मानसिक तनाव से राहत।
उपयोग विधि –
- सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले नाक में 2–2 बूंद औषध तेल डालें।
- उपयोग के बाद कुछ देर लेटे रहें ताकि तेल सिर और आंखों तक पहुंचे।
5. अंजन क्रिया (आंखों में औषध डालना) –
सामाग्री – इसमें औषधीय काजल (Anjana) का प्रयोग किया जाता है।
अंजन के प्रमुख प्रकार –
- सौविरांजन – नेत्रज्योति (Eyesight) बढ़ाने के लिए।
- पुष्पांजन – आंखों की जलन और लालिमा कम करने के लिए।
लाभ –
- आंखों की गंदगी को बाहर निकालता है।
- आंखों की चमक और रोशनी बढ़ाता है।
- थकी और सूखी आंखों में आराम देता है।
उपयोग विधि –
- साफ हाथों से रोज रात को सोने से पहले हल्का अंजन लगाएं।
- सुबह उठकर आंखें ठंडे पानी से धो लें।
ध्यान रखें – अधिक मात्रा में अंजन का प्रयोग न करें।
नोट :- आयुर्वेदिक उपचार केवल प्रारंभिक अवस्था में सहायक हो सकते हैं। यदि मोतियाबिंद अधिक बढ़ गया हो, तो ऑपरेशन आवश्यक है।
-: घरेलू नुस्खे (Home Remedies) :-
- रोज त्रिफला जल से आंखें धोना – त्रिफला चूर्ण को रात भर पानी में भिगोकर, छानकर सुबह आंखें धोएं।
- गाजर और आंवला का रस पीना – विटामिन A और C आंखों के लिए उत्तम।
- बादाम, मिश्री और सौंफ का पाउडर – 1 चम्मच रोज दूध के साथ लें।
- नारियल पानी और हरी सब्जियों का सेवन बढ़ाएं।
- धूप में निकलते समय आंखों पर UV प्रोटेक्शन चश्मा पहनें।
-: Cataract/मोतियाबिंद से बचाव के उपाय :-(Prevention)
- संतुलित और पोषणयुक्त आहार लें जिसमें विटामिन A, C और E भरपूर हो।
- धूप से आंखों की सुरक्षा करें।
- धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं।
- डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें।
- हर 6-12 महीने में आंखों की जांच जरूर करवाएं।
- कंप्यूटर या मोबाइल अधिक देर तक देखने से बचें।
-: सामान्य प्रश्न (FAQ) :-
Q. क्या मोतियाबिंद का इलाज केवल ऑपरेशन से ही
संभव है?
A. हां, जब मोतियाबिंद बढ़ जाए तो केवल सर्जरी से ही
स्पष्ट दृष्टि पाई जा सकती है। शुरुआती अवस्था में
जीवनशैली और आयुर्वेद से थोड़ी राहत संभव है।
Q. ऑपरेशन के बाद दृष्टि कितनी जल्दी सुधरती है?
A. अधिकतर मामलों में 2–5 दिनों में नजर सुधरने
लगती है, लेकिन पूरी रिकवरी में 2 हफ्ते तक लग
सकते हैं।
Q. क्या ऑपरेशन दर्दनाक होता है?
A. नहीं, यह प्रक्रिया लोकल एनेस्थीसिया में होती है और
व्यक्ति को दर्द नहीं होता।
-: निष्कर्ष :-
मोतियाबिंद एक सामान्य लेकिन नजरअंदाज न करने वाली आंखों की बीमारी है। सही समय पर जांच और इलाज इसे गंभीर होने से रोक सकते हैं। आधुनिक तकनीक और आयुर्वेद दोनों ही अपने स्तर पर प्रभावी हैं, लेकिन अंतिम उपचार ऑपरेशन ही है। यदि आपकी या किसी प्रियजन की नजर धीरे-धीरे कम हो रही है, तो तुरंत आंखों की जांच करवाना ही समझदारी है।
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